क्रिकेट में बाप-बेटे की जोड़ी की कितनी ही मि,सालें देखने का मिल जायेंगी. लेकिन बाप-बेटे की ऐसी जोड़ी जिन्होने अपने देश की टीम के लिए कप्तानी की हो ऐसी मि,साले बहुत कम हीं हैं.
टाइगर पटौदी के नाम से मशहूर पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान पटौदी और उनके पिता नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी का नाम उन चुनिंदा बाप-बेटे की जोड़ी में आता है जो अपने देश की क्रिकेट टीम के लिए कप्तानी कर चुके हैं.
पटौदी के नवाब इफ्तिखार अली खान ने अपने क्रिकेट करियर की शूरूआत 1932 में इंग्लैंड से की. और उन्होने इंग्लैंड के लिए 3 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान 5 पारीयों में 28.80 की औसत से 144 रन बनाए.
1946 में इफ्तिखार अली खान भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हुए और इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हे टीम की कमान सौंपी गई. हांलकी इंग्लैंड के खिलाफ 3 मैचों की इस सीरीज़ में टीम इंडिया और नवाब साहब दोनो का प्रदर्शन खराब रहा. टीम इंडिया को जहां 1-0 से शि,कस्त का सामना करना पड़ा तो वहीं इफ्तिखार साहब भी 3 मैचों में केवल 11 की औसत से 55 रन ही बना सके.
इफ्तिखार अली खान ने अपने इंटरनेशनल करियर में 6 मैचों में लगभग 20 के औसत से 190 रन बनाए. हांलकी प्रथम श्रेणी में उनके नाम 8 हज़ार से ज्यादा रन जरूर दर्ज हैं. उन्होने 127 मैचों में 48.61 की औसत से 8750 रन बनाए. जिसमें उन्होने 29 शतक और 34 अर्द्धशतक बनाए.
अब बात करते हैं नवाब मंसूर अली खान की जो पटौदी के साथ-साथ भोपाल के भी नवाब रहे. वह करीब 15 बरस तक टीम इंडिया का हिस्सा रहे. इस दौरान अपने पूरे करियर में उन्होने 46 टेस्ट मैच खेले जिसमें से 40 मैचों में वह टीम के कप्तान रहे. रौ,बदार व्यक्तित्व वाले इस शानदार कप्तान के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 40 में से 9 टेस्ट में जीत हासिल की. विदेशी मैदानों में पर मैच और सीरीज़ कैसे जीती जांती हैं ये टीम इंडिया को इसी कप्तान ने सिखाया था. उन्होने अपने करियर में 46 मैचों में लगभग 35 की औसत से 2793 रन बनाए. जिसमें 6 शतक शामिल हैं.
टाइगर पटौदी का प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड भी शानदार रहा उनके नाम 310 मैचों में 15 हज़ार से ज्यादा रन दर्ज है. जिसमें 33 शतक और 75 अर्द्धशतक शामिल हैं. हांलकी मंसूर अली खान के लिए क्रिकेट उतना आसान नहीं रहा, 1961 में एक कार दु,र्घ,टना की वजह से उनकी दाईं आंख ख,राब हो गई थी. तब लगा था कि शायद उनका क्रिकेट करियर शूरू होने से पहले ही खत्म हो जायेगा. वह 6 महीने तक मैदान से दूर रहे. लेकिन दिसम्बर 1961 में उन्होने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला में अपना डेब्यू मैच खेला. और इस श्रृंखला के आखिरी मैच में शतक जड़कर टाइगर पटौदी ने अपने करियर का सुनहरा आगाज़ कर दिखाया.