आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में रहने वाली सकीना की बेटी लगभग 15 साल पहले लापता हो गई थी. इतने लंबे समय से सकीना अपनी बेटी का इंतजार कर रही थी और उसे उम्मीद थी कि एक दिन उसकी बेटी जरूर मिलेगी. सकीना की ये उम्मीद अब पूरी हो गई है और आखिरकार उसे अपनी बेटी वापस मिल गई है. लेकिन सकीना की बेटी की परवरिश एक हिंदू लड़की की तरह हुई है. ऐसे में सकीना की बेटी के लिए असमंजस पैदा हो गई है.

दरअसल 15 साल पहले मक्का मस्जिद में सकीना अपनी बेटी से अलग हो गई थी. जिस समय सकीना की बेटी लापता हुई थी. उस समय वो महज ढाई साल की थी। वहीं अब इनकी बेटी काफी बड़ी हो चुकी है और खुद को हिंदू मानती है क्योंकि हिंदुओ ने 15 साल तक उसकी परवरिश की है. परिवार असमंजस में है कि वो उसे एक हिंदू लड़की की तरह रखे की अपने धर्म के बारे में सिखाए.

मिली इस हालत में
सकीना ने जन्म के वक्त अपनी बेटी का नाम फातिमा रखा था. वहीं अब फातिमा स्वप्ना बन गई है। स्वप्ना कई सालों से तेलंगाना के हैदराबाद स्थित एक अनाथालय में रह रही है। उसे अपने घर या परिवार के बारे में कुछ याद नहीं है। यहां तक की वो अपने घर भी जाना नहीं चाहती है.
इतने सालों तक परिवार से दूर रहने के कारण वो अपने माता-पिता समेत परिवार के किसी भी शख्स को भी नहीं पहचानती है। सकीना के परिवार में कुल पांच लोग हैं। वहीं लगातार मेहनत करने के बाद इन्हें अपनी बेटी फातिमा मिल गई है। लेकिन हालात पहले जैसे नहीं हैं और फातिमा इनसे मिलकर खुश नहीं है.

15 साल बाद मुस्लिम परिवार को मिली अपनी खोई हुई बेटी फातिमा, हिंदूओं ने की इतने सालों तक परवरिश - Newstrendफातिमा के खोने की कहानी बताते हुए परिवार ने कहा कि वे अजमेर शरीफ गए थे। वहां से वापस लौटने के बाद मक्का मस्जिद में गए थे। वहीं उनकी बेटी अचानक लापता हो गई थी। इन लोगों ने उसे वहां बहुत ढूंढा। लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चल सका.
तंग आकर इन्होंने पुलिस में केस दर्ज करवा दिया। परिवार हैदराबाद में ही काफी दिनों तक रुका रहा ताकि बच्ची को ढूंढ सके। लेकिन उस समय ढाई साल की फातिमा के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका.

फातिमा के भाई आबिद हुसैन ने बताया कि उसने एक होटल में नौकरी भी की ताकि हैदराबाद में उन लोगों की आजीविका हो सके। जब सारी उम्मीदें टूट गईं तो वे लोग वापस कुर्नूल लौट आए. वहीं परिवार से अलग होने के बाद फातिमा पुलिस को मिली और पुलिस ने उसे हैदराबाद के अनाथालय पहुंचा दिया। दोनों पुलिसवाले ऐंटी चाइल्ड ट्रैफिकिंग और ऑपरेशन स्माइल के तहत काम रहे थे, जब उन्हें फातिमा मिली थी.
कैसे मिली फातिमा

राजमिस्त्री ख्वाजा मोइनुद्दीन ने हुसैनेलियम थाने में साल 2005 में बेटी फीतिमा की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज कराई थी। हैदराबाद पुलिस ने कुर्नूल पुलिस से बच्ची के बारे में पता करने को कहा। बच्ची की मां ने उसके शरीर पर निशानों के बारे में पुलिस को बताया था और इन निशानों की वजह से बच्ची की पहचान हो सकी।

ऐंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के साइबराबाद एसआई एन श्रीधर ने इस पूरे मामले में जानकारी देते हुए बताया कि बच्ची अपने धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जानती है। उसे हैदराबाद लाया गया तो परिवार ये जानकर हैरान हुआ कि वो साईं बाबा की पूजा करती है। वो पूरी तरह से अलग परवरिश में रह रही है। जब परिवार वाले उससे मिले तो वो खुश होने की बजाए हैरान नजर आई। इस समय फातिमा यानी स्वप्ना 11वीं कक्षा में है।

फातिमा के भाई ने कहा कि उनके पिता का एक साल पहले देहांत हो चुका है। ये ऐसी स्थिति है कि हमें कुछ समझ नहीं आ रहा। हम लोग खुशी मनाएं या दुखी हों? हालांकि हम अपनी बहन को अपने गांव ले जा रहे हैं। वहां परिवार और रिश्तेदारों से मिलवाकर उसे वापस अनाथालय लाकर छोड़ देंगे। ताकि वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सके.

(साभार)