भारतीय टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज वसीम जाफर एक बार फिर से विवादों में आ गये हैं। इस बार वसीम जाफर के उपर मजहबी विवाद में फंसने का आरोप है। क्रिकेट से संन्यास लेकर कोच बने वसीम जाफर ने 1 सत्र के लिए उत्तराखंड बोर्ड से 45 लाख रुपये की राशि लेकर सीनियर कोच बने थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने सचिव महिम पर टीम चयन में दखल देने के साथ तमाम आरोप लगाए हैं तो सचिव ने इसे झूठा बताते हुए उन पर ही आरोपों की झड़ी लगा दी।
सचिव महीन ने कहाकि जाफर सीएयू के अधिकारियों से लड़ने के अलावा मजहबी गतिविधियों से टीम को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे। हमने जाफर का पूरा समर्थन किया था। मैंने खिलाडि़यों के लिए कोई दबाव नहीं डाला। वह गेस्ट प्लेयर के तौर पर इकबाल अब्दुल्ला, समद सल्ला, जय बिस्टा को लेकर आए। उन्होंने कुणाल चंदेला की जगह जबरदस्ती इकबाल को कप्तान बनाया।
वह भारत के घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं| विजय हजारे ट्रॉफी के लिए हमने सोमवार को टीम घोषित की और चंदेला को कप्तान बनाया तो अगले ही दिन जाफर ने इस्तीफा भेज दिया। उनकी नियुक्ति क्रिकेट सलाहकार समिति ने की थी इसलिए उनके इस्तीफे को वहीं भेज दिया गया है।
वहीं टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा ने उन पर टीम कैंप के दौरान मैदान पर मौलवी बुलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कैंप के दौरान आयोजन स्थल पर तीन मौलवी आए थे। जाफर ने मुझसे कहा था कि वे तीनों उन्हें जुम्मे की नमाज अदा कराने आए हैं।