नई दिल्ली: हिजाब पहन कर बहुत कम लड़कियों को बाईक चलाते हुए देखा गया है, लेकिन ईस्ट दिल्ली में रहने वाली रौशनी मिस्बाह पंजाबी मुस्लिम है और आजकल हिजाबी बाइकर के नाम से मशहूर हैं. 23 साल की मिस्बाह कहती हैं कि मेरे पापा सुपरबाईक चलाते थे. उनको देखकर मेरे अंदर शौक़ जागा. मेरे अंदर ही अंदर बाईक चलाने की ख्वाहिश लगातार जोर मार रही थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं अपनी ख्वाहिश अपने परिवार से कहूं.

Image result for roshni misbahउन्होंने कहा कि एक दिन मैंने हिम्मत करके अपने पापा से कहा कि मुझे भी बाईक चलाने के लिए खरीदनी है. पहले तो मेरे पूरे परिवार वालों ने इनकार कर दिया, लेकिन मेरी जिद और गुज़ारिश के आगे मेरी मांग मानने को तैयार हो गए. 2016 में उन्होंने सबसे पहले मुझे बुलेट दिलवाई जिससे मेरी शुरुआत हुई.

Image result for roshni misbahरौशनी मिस्बाह कहती हैं कि इस्लामी रीति-रिवाज के मुताबिक हिजाब मेरी ज़िन्दगी है, इसलिए हिजाब पहनकर बाईक चलाती हूं. मेरे परिवार वालों को तो कोई ऐतराज़ नहीं था, लेकिन शुरू शुरू में समाज में इसकी प्रतिक्रिया हुई, लेकिन अब सब कुछ सामान्य है. सुपरबाईक के साथ मिस्बाह जब घर से यूनिवर्सिटी जाने के लिए सड़क पर निकलती हैं तो लोग देखकर दंग रह जाते हैं. 1800 से 2300 सीसी की स्पोर्ट्स से लेकर क्रूजर बाईक चलाने की शौक़ीन रौशनी मिस्बाह जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के इंडिया अरब कल्चर सेंटर के तहत अरब और इस्लाम कल्चर विषय में एमए की स्टूडेंट हैं. लेकिन इनके शौक़ में शिक्षा कभी आड़े हाथ नहीं आई. हमेशा उनके जुनून के आगे छुट्टी देने में उनके गुरु भी पीछे नहीं रहे और साथी भी हमेशा मनोबल को बढ़ने में आगे रहे जिससे उनकी हिम्मत में लगातार इज़ाफ़ा होता गया.

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गर्ल चाईल्ड एजुकेशन के लिए वो प्रयासरत हैं. जब भी वक्त मिलता है बाईक पर सवार होकर वो निकल पड़ती हैं उन बस्तियों में जहां मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं. मिस्बाह उन परिवार वालों को समझाती हैं कि बच्चियों को पढ़ाना कितना ज़रूरी है. बच्चियां जब पढ़ेंगी तभी तो आगे बढ़ेंगी. इस कोशिश में वो अपनी और अपने दोस्तों की तरफ से किताब और स्कूल बेग देकर अगले मुक़ाम की तरफ निकल पड़ती हैं.

Image result for roshni misbahइसी कड़ी में सितम्बर 2017 में एक अमेरिकन बाइक कंपनी की गर्ल चाईल्ड एजुकेशन मुहीम “के टू के राईड” के आमंत्रण के तहत दिल्ली से कश्मीर तक सुपरबाईक के साथ रैली में वह शामिल हुई. इस मुहिम का मक़सद गर्ल चाईल्ड एजुकेशन को बढ़ावा देना था. इस दौरान जम्मू पहुंचकर मिस्बाह अपने साथियों के साथ आरएस पुरा क़स्बा पहुंची जो पाकिस्तान बार्डर से 10 किलोमीटर दूर मौजूद है. वहां ज़रूरतमंद बच्चों को किताबें और स्कूल बैग दिए.

Image result for roshni misbahउनका मानना है कि सरकार को शिक्षा के साथ महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. सिर्फ कैम्पेन और रैली के ज़रिये कुछ खास नहीं होगा. मज़बूत इरादे के साथ एक्शन की ज़रूरत है ताकि महिलाओं की सुरक्षा हो सके. रौशनी का मानना है कि महिला और पुरुष के बीच के दायरे जब तक ख़त्म नहीं होंगे तब तक महिलाओं का भला नहीं होने वाला. रौशनी मिस्बाह के अरमान सुपरबाईक रेसिंग में शरीक होने के साथ-साथ सुपर स्पोर्ट्स बाईक खरीदने का है, लेकिन बाईक की कीमत ने उनके जज़्बे पर अभी तक विराम लगा रखा है.

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