अ,ज़ान जिस में अ,ल्लाह त,आला की ब,ड़ाई और मु,हम्मदुर र,सूलुल्लाह को अ,ल्लाह के र’सूल होने की ग’वाही दी जाती है और जिसे सुनकर मु’सलमान चारों तरफ से अ’ल्लाह की इ’बादत के लिए म’स्जिदों की तरफ दौड़ पड़ते हैं, और अपनी अपनी न’माज़ें सब मिलकर ज’मात के साथ अ’दा करते हैं |

basic difference of shia and azan shia Adhan sunni Adhan/शिया और सुन्नी अज़ान में बुनियादी फर्क क्या हैआप जानते ही होंगे कि कहीं लोगों को इकठ्ठा करने के लिए शं’ख बजाया जाता है, और कहीं घं’टा बजाय जाता है, इसी तरह अलग अलग कौ’म के लोग किसी न किसी चीज़ को सा’यरन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं लेकिन इ’स्लाम में अ’ज़ान वो सा’यरन है जो सारे म’ज़ह्बों से अलग है और लोगों को अ’ल्लाह की इ’बादत की तरफ बुलाने का एक बेहतरीन ज़रिया है |

लेकिन क्या आपको मालूम है कि अ’ज़ान के वक़्त कौन कौन से काम हमें करने चाहिये जो अ’ल्लाह के यहाँ हमारे द’रजात को बढ़ा सकते हैं दो’ज़ख़ से दूर और ज’न्नत से करीब कर सकते हैं यहाँ पर हमने 5 ऐसे काम बयान किये हैं जो अ’ज़ान के वक़्त करने चाहिए

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अ’ज़ान देने वाला जो भी कहे उसको आप दो’हराएँ, वो जब “अ’ल्लाहु अ’कबर” कहे तो आप भी जवाब में “अ’ल्लाहु अ’कबर” कहें, ऐसा पूरी अ’ज़ान में आप को करना है, हाँ ! सिर्फ़ “ह’य्या अ’लस स’लाह” और “ह’य्या अ’लल फ़’लाह” के जवाब में “ला हौ’ला वा’ला क़ु’व्वाता इ’ल्ला बि’ल ला’ह” कहना है |

2. ये क’लिमात पढ़ना
अशहदु अल ला इलाहा इल्लल लाहु, वअश हदु अन्ना मु’हम्मदन अब्दुहू व र’सूलुह, रदीतु बिल लाहि र’ब्बौ, व बि मु’हम्मदिन रसूलन, व बिल इ’स्लामि दीना
3. अ’ज़ान के बाद धीमी आवाज़ में न’बी क’रीम स’ल्लल ला’हु अ’लैहि व’सल्लम पर दु’रूद पढ़ना. दु’रूद श’रीफ़ या’नि दु’रूदे इ’ब्राहीमी पढ़ें या कम से कम अ’ल्लाहुम्मा स’ल्लि अ’ला मु’हम्मद व अ’ला आ’लि मु’हम्मद ज़रूर पढ़ें

4. अ’ज़ान के बाद की दु’आ पढ़ना दु’आ ये है अ’ल्लाहुम्मा र’ब्बा ह’ज़िहिद द अ’वतित ता’म्मह, व’स स’लातिल क़ा इ’मह, आ’ति मु’हम्मदानिल व’सीलता वल फ़’दीलता वब अ’सहु म’क़ामम म’हमूदा, अ’ल्लज़ी व अ’त्तह, इ’न्नका ला तु’ख्लिफुल मी’आद
5. अपनी जा’एज़ ज़रूरतों की दु’आ माँगना
अ’ज़ान के बाद बहुत अच्छा मौक़ा होता है दु’आएं मांगने का और अपनी ज़रूरतों को अ’ल्लाह के सामने रखने का, इसलिए इस वक़्त कोशिश करें कि अ’ज़ान के बाद की दु’आ पढने के बाद अपनी ने’क त’मन्ना के बारे में अ’ल्लाह से ज़रूर कहें, कोई नहीं जानता कब वो ब’द्शाहों का बा’दशाह हमारी द’रख्वास्त क़ु’बूल कर ले, और और ने’क ब’न्दों में शामिल करके हमें दी’न और दुनिया में का’मयाब बना दे |