हारून रशीद एक बहुत बड़ा बा’दशाह गुज़रा है जिसकी हु’कूमत पूरी दुनिया पर थी, उस के ज़माने में बहलोल नाम के एक बुज़ुर्ग थे, वो अ’ल्लाह के बहुत बड़े व’ली थे इसीलिए हारुन रशीद उनका बहुत ए’हतेराम किया करता था हारुन रशीद की बीवी जिनका नाम ज़ुबैदा था वो बहुत ही ने’क औरत थीं
चौबीस घंटे क़ु’रान की ति’लावत
ज़ुबैदा ने अपने महल में ऐसी एक हज़ार नौकरानियाँ रखी हुई थीं, जो क़ु’रान की हा’फिज़ा थी और क़ु’रान की ति’लावत के लिए उन सब की ड्यू’टी अलग अलग शिफ्टों में लगी हुई थी, जिसका नतीजा ये होता था कि महल में चौबीस घंटे क़ु’रान की तिलावत होती रहती थी और उसका महल क़ु’रान का गु’लशन लगता था |
एक दीनार में जन्नत
एक दिन की बात है कि हारुन रशीद अपनी बीवी ज़ुबैदा के साथ दरिया के किनारे टहल रहे थे कि एक जगह बुज़ुर्ग दाना बहलोल को बैठे हुए देखा देखते ही इसने स’लाम किया तो दाना बहलोल ने जवाब दिया, बहलोल उस वक़्त मिटटी का घरौंदा बना रहे थे तो
हारुन रशीद ने पुछा : क्या कर रहे हो
बहलोल ने जवाब दिया : रेत में घर बना रहा हूँ
हारुन रशीद ने पुछा : किस के लिए बना रहे हो
बहलोल ने जवाब दिया : जो इस घर को ख़रीदेगा मैं उस के लिए दुआ करूंगा कि अ’ल्लाह त’आला उसको जन्नत में घर अता फरमाए
हारुन रशीद ने पुछा : इस घर की क्या क़ीमत है ?
बहलोल ने जवाब दिया : सिर्फ़ एक दीनार
हारुन रशीद ने सोचा ये एक दीवाना है जाने क्या बडबडा रहा है इसलिए इस बात पर ध्यान नहीं दिया और वो आगे बढ़ गया. इसके पीछे ज़ुबैदा खा’तून आयीं, उन्होंने ने भी स’लाम करके यही सवालात पूछे : क्या कर रहे हो, किस के लिए बना रहे हो, तो बहलोल ने फिर वही जवाब उनको भी दिया कि जो इस घर को ख़रीदेगा मैं उस के लिए दुआ करूंगा कि अ’ल्लाह त’आला उसको जन्नत में घर अता फरमाए क़ीमत पूछने पर बहलोल ने एक दीनार बताया तो ज़ुबैदा ने एक दीनार देकर कहा : मेरे लिए दु’आ कर देना और फिर वो आगे बढ़ गयीं
जन्नत में ज़ुबैदा का महल
रात को जब हारुन रशीद सोया तो उसने ख्व़ाब में जन्नत के हसीन मंज़र देखे, ख़ूबसूरत झरने, हरे भरे बाग, और ऊंचे ऊंचे ख़ुशनुमा महल भी थे और उन महलों में एक महल ऐसा भी था जिस पर ज़ुबैदा का नाम लिखा हुआ था, हारुन रशीद ने सोचा कि मैं देखूं तो सही मेरी बीवी का घर कैसा है
लेकिन इस से पहले कि महल में दाखिल होता महल के एक चौकीदार ने उसे रोक लिया हारुन रशीद ने कहा : इस महल पर मेरी बीवी का नाम लिखा है ये मेरी बीवी का है इसलिए मुझे अन्दर जाना है
चौकीदार ने कहा : नहीं यहाँ का क़ा’नून अलग है यहाँ जिस का नाम होता है उसी को अन्दर जाने की इ’जाज़त होती है इस के अलावा किसी और को नहीं, जब चौ’कीदार ने हारुन रशीद को पीछे धक्का दिया तो हारुन रशीद की नींद खुल गयी
जागने पर उसे यक़ीन हो गया हो गया कि ब’हलोल की दुआ ज़ुबैदा के हक़ में क़ुबूल हो गयी और ख़ुद पर अफ़सोस करने लगा कि मैं भी अपने लिए एक घर खरीद लेता तो कितना अच्छा होता, वो सारी रात इसी अफ़सोस में करवटें बदलता रहा, सुबह आँख खुली तो उसने सोचा कि आज ज़रूर मैं दरिया के किनारे जाऊँगा और बहलोल से दु’आ करवाके अपने लिए जन्नत में एक मकान ज़रूर खरीदूंगा
जन्नत की क़ीमत पूरी दुनिया की बादशाही
अगले दिन वो दरिया के किनारे बहलोल को तलाश करते हुए इधर उधर देख रहा था कि उसने फिर बहलोल को उसी तरह का मकान बनाते देखा तो क़रीब जाकर स’लाम किया और बहलोल ने जवाब दिया इसके बाद फिर वही सवालात शुरू हो गए
हारुन रशीद ने पुछा : क्या कर रहे रहे हो ?
बहलोल ने जवाब दिया : रेत में घर बना रहा हूँ
हारुन रशीद ने पुछा : किस के लिए बना रहे हो ?
बहलोल ने जवाब दिया : जो इस घर को ख़रीदेगा मैं उस के लिए दुआ करूंगा कि अ’ल्लाह त’आला उसको जन्नत में घर अता फरमाए
हारुन रशीद ने पुछा : इस घर की क्या क़ीमत है ?
बहलोल ने जवाब दिया : इसकी क़ीमत पूरी दुनिया की बा’दशाही है
हारुन रशीद ने कहा : इतनी क़ीमत तो मैं नहीं दे सकता लेकिन कल तो एक ही दीनार के बदले दे रहे थे और आज पूरी दुनिया की बा’दशाही मांग रहे हो
बहलोल ने कहा : बा’दशाह सलामत ! कल बिन देखे मामला था और आज देखा हुआ मामला है कल बिन देखे सौ’दा था इसलिए सस्ता मिल रहा था और आज चूंकि जन्नत देख आये हो इसलिए अब इसकी कीमत ज़्यादा देनी पड़ेगी
हमारी मिसाल ऐसी ही है कि आज हम ने अल्लाह और उसके रसूल को बिन देखे माना था इसलिए जन्नत बड़ी सस्ती है लेकिन जब मौत के वक्त की आख़िरत की निशानियां देख लेंगे तो फिर उसके बाद उसकी क़ीमत अदा नहीं कर सकेंगे. अल्लाह तआला हमको सही रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन