एक मु’सलमान होने के नाते आपको ये अच्छी तरह से पता होगा की इ’स्लाम के नियम और का’नून त’लवार की धार से भी ज्यादा तेज़ और बारीकी में देखा जाए तो बाल से भी बारीक होता है. यहाँ हर किसी को बराबर ह’क देने की बात कही गयी है. तो गलते से भी किसी दुसरे श’ख्श का दिल दुखाना भी मना किया गया है.
अगर आप मु’सलमान हैं तो आपके लिए कुछ ऐसे नियम लागू होते हैं जिनपर गलते करने से आप बहुत बड़ी मुश्किल में फास सकते हैं. वेसे तो हर गु’नाह और गलती की माफी का ज़िक्र भी आता है. लेकिन अ’ल्लाह के रस्ते और न’बी ए क’रीम के नक्शेकदम पर चलते हुए हमें इस दुनिया का सफ़र तय करना है. क्योंकी आ’खिरत ही हमारी ज़िंदगी की असली शुरुआत है दोस्तों.
एक रिवायत में बताया गया है कि एक खु’त्वे के दौरान हज़रात अली ने फ़रमाया था कि इन तीन घरों में अ’ल्लाह का क’हर कभी भी ना’ज़िल हो सकता है, जो अ’ल्लाह को सख्त न’फरत है इन तीन घरों से -जिस घर में औरत की आवाज म’र्द की आवाज से उपर (तेज) हो जाए, उस घर को 70,000 फरिश्ते सारा दिन को’सते रहते हैं.
जिस घर में किसी के ह’क का मा’रा हुआ पैसा जमां हुआ हो और उसी मा’रे हुए हक के पैसों से उस घर की रोशनी ओ त’कब्बुर हो – जिस घर के लोगों को मेहमानों का आना पसंद नहीं, हज़रत जि’बरील ؑ फरमाते है उस घर की न’माज़ों का सवाब फरिश्ते लिखा नहीं करते अ’ल्लाह तआ’ला पढ़ने से ज्यादा अ’मल करने की तौफीक अता फरमाएं.
आमिन, इ’स्लाम एक ए’केश्वरवादी ध’र्म है, जो इसके अ’नुयायियों के अनुसार अ’ल्लाह के अं’तिम र’सूल और न’बी मु’हम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ई’श्वरीय पुस्तक क़ु’रआन की शिक्षा पर आधारित है.
कु’रान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मा’तृभाषा है.