पिता ने जीवन भर मजदूरी की. मां कभी स्कूल नहीं गई. बेटा सरकारी स्कूल में पढ़ा. अब मैकिनकल इंजीनियरिंग कर रहा है. बीटेक सेकेंड ईयर में है. उसका दिमाग इतना तेज है कि कॉलेज उससे फीस लेता नहीं है, बल्कि खुद ही उसकी सारी सुविधाओं का ख्याल रखता है.
कहानी मेरठ के मुरादनगर के रहने वाले अजहरुद्दीन की है. उन्होंने कबाड़ से जुटाए समानों से एक इलेक्ट्रिक कार्ट बनाई है. वह उसे ऑनलाइन ही विदेश भेजने की तैयारी में है.
ये इलेक्ट्रिक कार्ट एक बार चार्ज हो जाने के बाद 100 किमी चलती है. इसके साथ ही अजहरूद्दीन ने सोलर कार्ट भी बनाई है. इसे चार्ज करने की जरूरत ही नहीं है. ये सब अजहरुद्दीन ने अकेले ही कर लिया है.
मेरठ के सुभारत यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अजहरुद्दीन अपनी ई कार्ट को सरकार से वैरिफाइड कराने की कोशिश में लगे हैं. वह दावा करते हैं कि उनकी ई कार्ट से पर्यावरण पर भी किसी तरह का बुरा असर नहीं पड़ने वाला. यह सस्ती और अधिक मजबूत है. इसका उपयोग ऑटो के तौर पर किया जा सकता है.
हैदराबाद की एक सोसायटी ने अजहरुद्दीन से 6 सोलर कार्ट का ऑर्डर ले लिया है. पहली ई कार्ट तो सिर्फ 1.5 लाख में तैयार कर दी थी. इसमें कबाड़ का इस्तेमाल हुआ है. उनकी ई कार्ट दुबई भेजी जा चुकी है.