आपको बता दें इस्लाम धर्म के 5 स्तंभों में से एक है हज. ऐसा माना जाता है कि हर मुस्लिम को जीवन में एक बार हज पर जाना चाहिए. इसी वजह से हज यात्रा को इस्लाम धर्म में इतना महत्व दिया जाता है. दूसरी तरफ जो लोग हज नहीं जा पाते वो वहां जाने वाले बंदों के हाथों अल्लाह को पैगाम भेजते हैं. यात्रा पांच दिनों की होती है जो इहराम तवाफ सई अराफात और मुजदलफा.
तीसरे दिन बकरीद के बाद रमीजमारात पर हज के लिए गये लोगों के द्वारा पत्थर मारे जाते हैं. रमीजमारात एक ऐसी जगह है जहां तीन बड़े खम्भे हैं. इन्हीं खम्भों को लोग शैतान मानते हैं और उस पर कंकरी फेंकते हैं और इस रस्म के साथ ही हज पूरा हो जाता है. रमीजमारात पर पत्थर मारने के पीछे ऐसी मान्यता है कि एक बार अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम से कु,र्बानी में उनकी पसंदीदा चीज़ मांगी थी.
हज़रत इब्राहिम को सबसे ज़्यादा प्यार अपने बेटे इस्माइल से था. अल्लाह का आदेश मानकर वह अपने बेटे इस्माइल की कु,र्बानी देने को तैयार हो गए. हज़रत इब्राहिम जब अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे तभी रास्ते में शै,तान मिला और उसने कहा कि वह इस उम्र में क्यों अपने बेटे की कु,र्बानी दे रहे हैं. उसके दुनिया के जाने के बाद बुढ़ापे में कौन आपकी देखभाल करेगा. हज़रत इब्राहिम ये बात सुनकर सोच में पड़ गए और उनका कु,र्बानी देने का मन हटने लगा. लेकिन कुछ देर बाद वह संभले और कु,र्बानी के लिए तैयार हो गए.
हजरत इब्राहिम को लगा कि कु,र्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली. कु,र्बानी देने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को सामने जिन्दां खड़ा पाया और उसकी जगह कु,र्बानी मेमने की हुई. इसी मान्यता के चलते मुसलमान हज के आखिरी दिन बकरीद पर कु,र्बानी देने के बाद रमीजमारात जाकर उस शै,तान को पत्थर मारते हैं जिसने हज़रत इब्राहिम को अल्लाह के आदेश से भटकाने की कोशिश की थी.