हुजूर ने फरमाया जो शख्स अपने भाई की ज़रूरत पूरी करे अल्लाह सुबहानहु उसकी ज़रूरत पूरी करेगा. जो शख्स किसी मुसलमान की एक मुसीबत को दूर करे अल्लाह उसकी क़यामत की मुसीबतों में से एक बड़ी मुसीबत को दूर फरमाएगा और जो शख्स किसी मुसलमान के ऐब (बुराईयों) को छुपाएगा अल्लाह क़यामत में उसके ऐब को छुपाएगा.
हुजूर ने कहा कि जो दूसरों की बुराइयों को छुपाता है कयामत के दिन उसकी बुराइयों पर पर्दा डाल दिया जाता है.आपको बता दें हुजूर का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था और लगभग 613 इस्वी के आसपास मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेशा देना आरंभ किया था. इसी घटना का इस्लाम का आरंभ जाता है हालाँकि इस समय तक इसको एक नए धर्म के रूप में नहीं देखा गया था.
सन् 613 में आपने लोगों को ये बताना आरंभ किया कि उन्हें परमेश्वर से यह संदेश आया है कि ईश्वर एक है और वो इन्सानों को सच्चाई तथा ईमानदारी की राह पर चलने को कहता है. उन्होंने मूर्तिपूजा का भी विरोध किया लेकिन मक्का के लोगों को ये बात पसन्द नहीं आई.