शै,तान जो इन्सान का दु,श्मन है वो हमेशा आपको सही रास्ते से गु,मराह करने की कोशिश में रहता है और इसके लिए अपने अलग ह,थियार इस्तेमाल करता रहता है कि कैसे आ,दम की औ,लाद को भटकाए |
ने,क काम से रोकता है
उ,लेमा ने लिखा है कि शै,तान सबसे पहले इंसान को ने,क काम से रोकता है यानी इंसान के दिल से ने,क कामों की अ,हमियत निकाल देता है जिसकी वजह से जब न,माज़ के लिए उस से कहा जाता है तो बंदा कहता है कि अच्छा ठीक है मैं न,माज पढ़ लूंगा हालांकि दिल में पढ़ने की नि,यत नहीं होती
ने,क काम को टा,लने की कोशिश करता है
अगर इंसान शै,तान के कहने पर ने,की से ना रुके और वह नि,यत कर ले कि मुझे यह नेक काम करना है तो फिर वह ब,हकाने के लिए दूसरा ह,थियार इस्तेमाल करता है कि वह उसके काम को टालने की कोशिश करता है जैसे किसी के दिल में यह बात आई कि मुझे तौ,बा कर लेना चाहिए तो यह इस के दिल में डालता है कि अच्छा फिर कल से तो,बा कर लेना, किसी के दिल में यह बात आई कि मैं न,माज पढ़ लूंगा तो कहता है कि कल से न,माज शुरु कर देना, ऐसे ही शै,तान कोशिश करता रहता है कि बं,दा ने,क कामों को टालता रहे, याद रखे ! जो काम टा,ल दिया जाता है वह ट,ल जाया करता है
ने,क काम को जल्दी निपटाने की कोशिश करता है
अगर कोई बं,दा शै,तान के उ,कसाने पर भी ने,क काम के करने से ना रुके और कहे कि मैंने यह काम करना है तो फिर वह दिल में डालता है कि जल्दी कर लो, मि,साल के तौर पर अगर किसी जगह पर खाना भी खाना हो और न,माज भी पढ़नी हो तो दिल में व,स्वसा डालता है कि जल्दी से न,माज पढ़ लो फिर खाना खाना नहीं भाई नहीं ! बल्कि ऐसे कहना चाहिए कि पहले जल्दी जल्दी खाना खा लो फिर त,सल्ली और सुकून से न,माज पढ़ लेंगे वरना जल्दबाज़ी में न,माज़ पढेंगे और ध्यान खाने में होगा |
ने,क काम में रिया दि,खलावा पैदा करता है
अगर इस में भी शै,तान कामयाब नहीं होता और कोई आदमी ने,क काम कर लेता है तो फिर वह ये ह,थियार इस्तेमाल करता है कि उस ने,क काम में रि,या दि,खलावा पैदा करवा देता है और इस के जरिए उसके किए हुए अ,मल को ब,र्बाद करवाता है और जब दिल में रिया और दि,खलावा आ जाये है तो बंदा दिल में सोचने लगता है कि जरा दूसरे भी देख ले कि मैं कैसा अच्छा अ,मल कर रहा हूं
ब,न्दे के दिल में ख़ुद प,सन्दी डालता है
लेकिन अगर काम करते वक्त रिया भी पैदा ना हुआ तो पांचवां ह,थियार बन्दे के दिल में ख़ुद प,सन्दी डालता है और जब ख़ुद प,सन्दी आ जाये तो बं,दा सोचता है कि मैं दूसरों से बेहतर हूं और यह भी दिल में होता है कि मैं तो फिर भी न,माज पढ़ लेता हूं लेकिन फ,लां तो न,माज़ भी नहीं पड़ता, वह समझता है कि मैं तो आखिर पढ़ा लिखा हूं और मैं हा,जी हूँ इतने ह,ज किए हैं और मैं न,माज़ी हूँ कोई न,माज़ मेरी नहीं छूटती है तो जब इस तरह इसमें तो त,कब्बुर और घ,मंड आ जाता है तो यही खु,द्पसंदी उस की ब,र्बादी का स,बब बन जाता है |
बन्दे के दिल में शोहरत की त,मन्ना पैदा कर देता है
लेकिन बंदा वाक़ई ने,क है और उसके दिल में खुद पसंदी भी पैदा नहीं हुई तो शै,तान अपना आख़िरी ह,थियार ये इस्तेमाल करता है कि वह बन्दे के दिल में शो,हरत की तमन्ना पैदा कर देता है वो ज़ुबान से शो,हरत पसन्दी की बातें नहीं करेगा लेकिन उसके दिल में यह बात होगी कि लोग मेरी तारीफ करें और जब लोग इसकी तारीफ करेंगे तो खुश होगा |