रमजान का महीना इबादत का महीना होने के साथ साथ गु’ना’हों की म’ग’फि’र’त का म’ही’ना भी है। पूरे महीने स’मा’ज’ज’न समय पर न’मा’ज अ’दा करते है,और रो’जा रखकर अ’ल्ला’ह ता’ला से अपनी गु’ना’हों की म’ग’फि’रत करते है।

रोजा रखने के बावजूद कुछ लोगों का वजन क्यों बढ़ जाता है? - Ramadan 2018: Myths and Facts about Roza

हालांकि, रमजान को लेकर ऐसे बहुत से म’स’ले हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है. और कुछ लोग ग’ल’त फ’ह’मी का शि’का’र हो जाते हैं ऐसे में उन्हें किसी बड़े इ’मा’म या मौ’ला’ना से इन म’स’लों के बारे में मा’लू’मा’त करनी जरूरी है. आज एक ऐसे ही म’स’ले के बारे में बात करेंगे.

ग़’ल’त फ़े’ह’मी- कुछ लोग समझते हैं कि मुंह में मौजूद थू-क या ब’ल’ग़’म नि’ग़’ल जाने से रो’ज़ा टू’ट जाता है या म’क’रु’ह हो जाता है इसलिए वह बार बार थू’क’ते रहते हैं.

सही मस्अला यह है : कि मुंह में मौजूद थू-क और ब’ल’ग़’म नि’ग़’ल’ने से रोज़ा बिलकुल नहीं टू’टे’गा- हां अगर कोई बे’व’कू’फ मुंह से बाहर म’स’ल’न हथेली पर थू’क कर अपनी थू’क या ब’ल’ग़’म मुंह में दुबारा डाल कर नि’ग़’ल जाए तो फ़िर टू’ट जायेगा, लेकिन ऐसा आम तौर पर कोई नहीं करता

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