रमजान का महीना रहमतों, बरकतों, नेकियों और नियामतों का है। इसकी आमद पर दुनियाभर में मुसलमान खुशी महसूस करते हैं। अरबी भाषा में गरमी की शिद्दत को रम्ज और धूप से तपती हुई जमीन को रमजा कहा जाता है। इस दौर में चूंकी- रमजान-उल-मुबारक का महीना सख्त गर्मी में आता था, इसलिए इसे रमजान कहा जाने लगा। एक रिवायत के मुताबिक रमजान अ,ल्लाह के नि,न्यानवे नामों में से एक है। इसलिए लोग इसे ए,हतराम के साथ शहरे-रमजान अर्थात माह-ए-रमजान भी कहते हैं। सभी लोग रू,हानी उम्मीदों के साथ इस महीने का इ,स्तकबाल करते हैं। रमजान सब्र का महीना है और सब्र का फल जन्नत है।
इसका मतलब यह है कि रोजेदार जब इस महीने में सिर्फ अ,ल्लाह के लिए अ,ल्लाह के हु,क्म से और अ,ल्लाह की खुशी के लिए अपनी पसंद की तमाम चीजें छोड़कर अपनी ख्वा,हिशा,त को रोककर स,ब्र करता है, तो अ,ल्लाहपा,क ऐसी कु,रबानी देने वाले बं,दों को जन्नत की राहतें और ल,ज्जतें अता फरमाएगा। यह महीना ह,मद,र्दी का है। इस महीने में हर रो,जेदार को भूखे की भूख और प्यासे की प्यास का एहसास होता है। उसे पता चलता है कि दुनिया के जिन लोगों को गरीबी की वजह से फा,के होते हैं, उन पर क्या बीतती होगी। रोजे से आदमी में इं,सानियत के प्र,ति ह,मद,र्दी और गम ख्वा,री का जज्बा पैदा होता है।
माहे र,मजा,नुल मु,बारक में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और ज,हन्नु,म के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस मुबारक माह को साल के तमाम महीनों का स,रदा,र कहा जाता है। पै,गंब,र हजरत मो,हम्मद ने फ,रमाया कि रमजान महीने का शुरू हिस्सा र,हम,त, दूसरा हिस्सा म,गफिरत और तीसरा हिस्सा ज,हन्नु,म की आ,ग से आ,जादी का सबब है। जो श,ख्स अपने से,वक से इस महीने में काम हल्का लेगा, अ,ल्लाह तआ,ला उसके गु,नाह ब,ख्श देगा और ज,हन्नु,म की आ,ग से आ,जाद कर देगा। र,मजानुल मुबारक में एक अहम अ,म्ल-न,माज-ए-त,रावीह भी है। उस रात की त,रावीह (न,माज) को स,वाब की चीज बताया गया है। रो,जा शरीर को अंदर और बाहर दोनों तरह से पा,क और साफ करता है।
मु,सलमान हर साल पूरे एक महीने तक न,फ्स और जि,स्म की त,रबी,यत हासिल करते हैं और ज,ब्त व ब,र्दाश्त की आ,दत डालते हैं। र,मजान के मुबारक महीने में वक्त की पाबंदी की बे,मिसाल त,रबीयत हासिल होती है। इस महीने में ने,की, ह,मदर्दी, सहयोग और भा,ईचारे का एहसास अता होता है। गरीब और अमीर को एक-दूसरे के ए,हसासा,त और ज,ज्बात को समझने का मौका मिलता है। इं,सानी सेहत को बरकरार रखने मे जो चीजें का,रामद हैं, वे तमाम चीजें इस महीने में हासिल होती हैं। रोजेदार के लिए पै,गंबर सा. (सल्ल.) का फ,रमान है कि जब रो,जा हो तो रो,जेदार को चाहिए कि वे न तो ख्वा,हिश-ए-न,फस की बात करें और न ही शो,र-गु,ल करें।