इस्लाम दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाला दूसरा सबसे बड़ा धर्म है. इस धर्म के मामने वाले विश्व के कोने कोने में मौजूद हैं. इस्लाम धर्म को शांति का प्रतीक माना जाता है. कई बार ऐसे मौके आए जब इस्लाम धर्म को पढ़कर कई लोगों ने इस्लाम धर्म को अपनाया. आज हम आपको इस्लाम धर्म से संबंधित एक शानदार वाक्ये के बारे में बताने जा रहे हैं.
दरअसल, मिस्र के दक्षिणी प्रांत अलमनिया के गांव तहना अलजबल में के रहने वाले 85 वर्षीय “अयाद शाकिर हिना” जो कि पेशे से एक शिक्षक है और ईसाई धर्म को मानने वाले हैं. ने 1800 बच्चों को हाफिज-ए-कुरान बनाया हैं यानि 1800 बच्चों को कुरान कंठस्थ कराया हैं. अयाद के पिता बच्चों को बाइबिल और कुरान की शिक्षा देते थे.
उनके जाने के बाद उनकी विरासत को आगे बडाते हुए अयाद शाकिर ने बच्चों को बाइबिल और कुरान की शिक्षा देना जारी रखा. अपनी 65 साल की ज़िन्दगी में उन्होंने 1800 बच्चों को हाफिज-ए-कुरान बनाया. बाइबिल और कुरान की शिक्षा के अलावा अयाद अपने ही घर में गणित और अरबी भाषा की शिक्षा भी देते हैं.
अयाद खुद एक हाफिज ए कुरान हैं उन्होंने अपने पिता से कुरान हिफ्ज किया था. अयाद के अनुसार गांव के मुसलमान शेख अपने बच्चों को उसके पास कुरान याद करवाने के लिए लाते थे और फिर हिफ्ज़ के पूरा होने के बाद अयाद को बड़े मात्रा वाला क़ुरआन और तफसीर और अह्कामाते तिलावत से संबंधित किताबें बतौर भेंट दी जाती थीं.