लंदन में रहने वाली 7 साल की मारिया असलम को मु,स्लिम धर्म की पवित्र पुस्तक पूरी कु,रआन मुंह ज़बानी याद है। वो कु,रआन शरीफ का कोई भी हिस्सा बिना देखे सुना सकती हैं। हाल ही में कु,रआन पढ़ने की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इस प्रोग्राम में मिली इनामी राशि को उन्होंने सीरिया के श,रणार्थियों के लिए दान कर दिया है।
इ,स्लामी तालीम लेने के लिए मारिया की मां शबनम ने उन्हें लंदन के एक मदरसे में भेजा था। इस दौरान उन्होंने पाया कि मारिया की लर्निंग कैपसिटी कमाल की है। शबनम ने तभी तय कर लिया था कि वो अपनी बेटी को हा,फ़िज़ा (बिना देखे कु,रआन याद करने का कोर्स) करवाएंगी।
शबनम ने बताया कि लंदन के ल्यूटन इलाक़े में कोई म,दरसा नहीं होने के कारण उन्हें हा,फ़िज़ा बनाने के लिए अपनी बेटी को दूर भेजना पड़ा। जिस म,दरसे में मारिया का एडमिशन हुआ, वहां वो हर दिन पांच घंटे की पढ़ाई करती थीं। कई बार वह रात में भी कु,रआन याद करने के लिए मेहनत करती थीं। मारिया ने इतनी कम आयु में इस कार्य को कर के दिखा दिया कि अगर इन्सान हिम्मत करे to वो किसी भी काम को कर सकता है|