कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरियत की झलक दिखी, जब शनिवार को एक कश्मीरी पंडित के श,व को मु,स्लिम स,मुदाय के लोगों ने बर्फ के बीच 10 किलोमीटर पैदल चलकर घर तक पहुंचाया। निधन के बाद श,व को घर तक पहुंचाने के अलावा मु,स्लिम समुदाय के लोगों ने ही अंतिम संस्कार का पूरा प्रबंध किया।
जिले के इ,माम साहिब इलाके के परगोची गांव में रहने वाले कश्मीरी पंडित भास्कर नाथ का शनिवार की सुबह श्रीनगर के स्किम्स में निधन हो गया। उनका श,व एंबुलेंस से शोपियां लाया गया, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंची। इस पर भास्कर के परिवार वालों ने पड़ोसी मु,स्लिम परिवारों से कहा तो वे सहर्ष तैयार हो गए। उन्होंने श,व गांव तक पहुंचाया।
इस दौरान काफी संख्या में मु,स्लिमों ने घर पर पहुंचकर शो,क जताया। गांव में अंतिम संस्कार में भी जवान, बुजुर्ग व बच्चों ने सहयोग किया। भास्कर के रिश्तेदार शमी लाल ने बताया कि मु,स्लिम भी इसी समाज का हिस्सा रहे हैं। 1989 में पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद भी कुछ पंडित परिवारों ने घाटी नहीं छोड़ी और मु,स्लिमों के साथ सगे भाई की तरह रहते आए हैं।
कभी महसूस नहीं हुआ कि वे यहां अल्पसंख्यक हैं। सभी भाईचारे और सौहार्द के साथ रहते आए हैं। गांव के रशीद अहमद ने कहा, हम लोग एक दूसरे के शादी ब्याह और अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। हर सुख-दुख में शामिल होते हैं। यह वैसा ही है जैसा कि एक पड़ोसी को करना चाहिए।
(अमरउजाला से साभार)