इस्लाम धर्म सुन्नी और शिया के अलावा कई और पंथों में बंटा हुआ है. इन्ही में से एक पंथ (फिरका) है हनफ़ी मुसलमानों का. हनफ़ी इस्लामिक कानून का पालन करने वाले मुसलमानों का एक समुदाय अहमदिया कहलाता है. इस समुदाय की शुरूआत भारत के पंजाब के क़ादियान में मिर्जा ग़ुलाम अहमद ने की थी.

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इस पंथ के अनुनायियों का मानना है कि मिर्जा ग़ुलाम अहमद ख़ुद एक नबी का ही अवतार थे. उनके मुताबिक़ वे खुद कोई नई शरीयत नहीं लाए बल्कि पैग़म्बर मोहम्मद की शरीयत का ही पालन कर रहे हैं लेकिन वे नबी का दर्जा रखते हैं. मुसलमानों के लगभग सभी संप्रदाय इस बात पर सहमत हैं कि मोहम्मद साहब के बाद अल्लाह की तरफ़ से दुनिया में भेजे गए दूतों का सिलसिला ख़त्म हो गया है.लेकिन अहमदियों का मानना है कि मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ऐसे धर्म सुधारक थे जो नबी का दर्जा रखते हैं.

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बस इसी बात पर मतभेद इतने गंभीर हैं कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग अहमदियों को मुसलमान ही नहीं मानता. हालांकि भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में अहमदियों की अच्छी ख़ासी संख्या है. पाकिस्तान में तो आधिकारिक तौर पर अहमदियों को इस्लाम से ख़ारिज कर दिया गया है.