अगर आप मु’सलमा’न हैं तो आपके लिए कुछ ऐसे नियम लागू होते हैं जिन पर गलती करने से आप बहुत बड़ी मुश्किल में फस सकते हैं. वेसे तो हर गु’नाह और गलती की माफी का ज़िक्र भी आता है. लेकिन अ’ल्लाह के रास्ते और नबी ए करी’म के नक्शेकदम पर चलते हुए हमें इस दुनिया का सफ़र तय करना है. क्योंकी आखिरत ही हमारी ज़िंदगी की असली शुरुआत है दोस्तों.
ऐसे दो घरों में…
एक रिवायत में बताया गया है कि एक खु’त्वे के दौरान हज़रत अली ने फ़रमाया था कि इन तीन घरों में अ’ल्लाह का क’ह’र कभी भी नाज़िल हो सकता है, जो अ’ल्ला’ह को स’ख्त न’फ’र’त है इन तीन घरों से -जिस घर में औरत की आवाज मर्द की आवाज से उपर (तेज) हो जाए, उस घर को 70,000 फरिश्ते सारा दिन को’स’ते रहते हैं.
जिस घर में किसी के हक का मा’रा हुआ पैसा जमां हुआ हो और उसी मा’रे हुए हक के पैसों से उस घर की रोशनी ओ त’क’ब्बु’र हो – जिस घर के लोगों को मेहमानों का आना पसंद नहीं, हज़रत जिबरील ؑ फरमाते है उस घर की न’मा’ज़ों का सवाब फ’रि’श्ते लिखा नहीं करते अ’ल्ला’ह तआला पढ़ने से ज्यादा अ’म’ल करने की तौ’फी’क अता फरमाएं.
(आमिन ) इ’स्ला’म एक ए’के’श्व’र’वा’दी ध’र्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अ’ल्ला’ह के अंतिम र’सूल और न’बी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ई’श्व’रीय पुस्तक क़ु’र’आन की शिक्षा पर आधारित है.