इ’स्ला’म ध’र्म की बुनियाद कुछ पांच पिलर पर है और वह पांच पिलर यह हैं, कलमा (अ’ल्लाह को एक मानना), न’माज़, ज़’कात (दान), रोज़ा और हज (म’क्का में काबा)। रो’ज़ा भी इ’स्लाम के इस पांच पिलर में से एक है जो हर बा’लिग़ पर वा’जिब यानी कम्प्लसरी है और उन्हें पूरे महीने के रोज़े रखने पड़ते है।

Market Will Closed In Ramadan 2020 Due To Lockdown - Ramdan 2020: लॉकडाउन के दौरान बंद रहेंगे बाजार, घरों में होगी इबादत - Amar Ujala Hindi News Liveहां, अगर कोई बीमार हैं, जो यात्रा पर हैं, कोई औरतें प्रे’ग्नेंट हैं, छोटे बच्चे हैं, सिर्फ उन्हें ही रोज़ा नहीं रखने से छूट दी गई है। रोज़ा रखने वाले खाने पीने के अलावा सिगरेट, बीड़ी का धुआं भी नहीं ले सकते. रोजा रखने वाले मुंह का थूक भी नहीं निगल सकते यानी अगर खाने की कोई चीज देखकर मुंह में पानी आया तो वो भी नि’षेध है।

इस महीने में मु’स्लिम किसी से ज’लने से, चुगली करने और गुस्सा करने से भु परहेज़ करते हैं। पूरी यह महिना पूरी तरह से खुद को संयम में रखने का महीना है और तभी रोजा रखने वाले का रोज़ा पूरा होता है।

हर घर में खाने पकाने के इंतजाम सवेरे से ही होने लगते हैं और तरह तरह के लज़ीज़ खाने हर घर में बनाएं जाते हैं। शाम को रोजा खोलने के वक्त अगर द’स्त’र’ख्वा’न देखा जाए तो हर एक का दिल ललचा जाता है।

सुबह तड़के के वक्त में जब खाते हैं तो उसे ‘सहरी’ और जब शाम को खाया जाता है तो उसे ‘इफ्तार’ कहते है। इस तरह से ये पूरा महीने का उत्सव भी है।