एक मुसलमान होने के नाते आपको ये अच्छी तरह से पता होगा की इस्लाम के नियम काफी सख्त और बारीक होते हैं.

जहाँ छोटे से छोटे काम के बदले नेकी मिलती है वहीं छोटी सी गलती भी इन्सान के पतन का कारण बन जाती है. यहाँ हर किसी को बराबर हक देने की बात कही गयी है. तो गलती से भी किसी दुसरे शख्श का दिल दुखाना भी मना किया गया है.

वैसे तो गलती की माफी का ज़िक्र भी आता है. लेकिन अल्लाह के रास्ते और नबी ए करीम के बताये रास्ते पर चलते हुए हमें इस दुनिया का सफ़र तय करना है.

एक रिवायत में बताया गया है कि एक खुत्वे के दौरान हज़रत अली ने फ़रमाया था कि इन तीन घरों में अल्लाह का कहर कभी भी नाज़िल हो सकता है, जो अल्लाह को सख्त नफरत है इन तीन घरों से जिस घर में औरत की आवाज पुरुष की आवाज से ऊपर (तेज) हो जाए उस घर को 70000 फरिश्ते सारा दिन कोसते रहते हैं. जिस घर में किसी के हक का छीना हुआ हो.

नंबर तीन है कि जिस घर के लोगों को मेहमानों का आना पसंद नहीं.

हज़रत जिबरील फरमाते है उस घर की न,माज़ों का सवाब फरिश्ते लिखा नहीं करते. आपको बता दें इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के पास अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी मु,हम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई. जो अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है.

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