अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां क्रिकेट के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

तालिबान ने हांलही में पुरूष क्रिकेट को लेकर उदारवादी रवैया दिखाय तो वहीं महिलाओं के क्रिकेट खेलने को लेकर वह सख्त नजर आ रहे हैं. तालिबान ने महिलाओं के किसी भी खेल में उतरने पर रोक लगा दी है. ऐसे में आईसीसी (ICC) अफगानिस्तान से पूर्ण सदस्यता का दर्जा छीन सकता है.

तालिबान ने साफ कर दिया है कि देश की महिलाएं क्रिकेट के अलावा अन्य किसी भी स्पोर्ट्स में शामिल नहीं हो सकेंगी. यह क्रिकेट की वर्ल्ड संस्था आईसीसी (ICC) के नियम के खिलाफ है. नियम के मुताबिक खेल में किसी तरह के भेदभाव की कोई जगह नहीं है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) ने भी साफ कर दिया है कि अगर महिलाओं पर बैन लगा तो वह नवंबर में अफगानिस्तान की पुरुष टीम के खिलाफ होने वाले एकमात्र टेस्ट को रद्द कर सकता है.

इससे पहले आईसीसी ने 1970 में नस्लीय रंगभेदी नीति के बाद साउथ अफ्रीका से 1970 में टेस्ट का दर्जा छीन लिया था. टीम 21 साल तक क्रिकेट नहीं खेल सकी थी.

आईसीसी ने 2017 में अफगानिस्तान को कई मापदंड में छूट देते हुए पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया था. जिसके बाद अफगानिस्तान टेस्ट खेलने वाला 12वां देश बन गया था. अगर तालिबान का रवैया इसी तरह सख्त रहता है तो आईसीसी अफगान को टेस्ट क्रिकेट में बैन कर सकता है.