र,म,जा,न का महिना शुरू हो गया है और इस महीने में इस्लाम धर्म के अनुयायी अपने जीवन का प्रत्येक क्षण अ,ल्ला,ह की इ,बा,दत में गुजारते हैं. आपको बता दें इ,स्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है जो इसके अनुयायियों के पास अ,ल्लाह के अंतिम रसूल और नबी मु,हम्मद द्वारा पहुंचाया गया है. जो अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है. एक मु,सलमान होने के नाते हर मु,स्लिम व्यक्ति को ये अच्छी तरह से पता होगा की इस्लाम के नियम काफी सख्त और बारीक होते हैं.
जहाँ छोटे से छोटे काम के बदले नेकी लिखी जाती है तो वहीं छोटी सी गलती भी मनुष्य के पतन का कारण बन जाती है. यहाँ हर किसी को बराबर हक देने की बात पर जोर दिया गया है तो गलती से भी किसी दुसरे व्यक्ति का दिल दुखाने को मना किया गया है.
वैसे तो गलती की माफी का ज़िक्र भी आता है. लेकिन अल्लाह के रास्ते और नबी ए करीम के बताये रास्ते पर चलते हुए हमें इस दुनिया का सफ़र तय करना है. हजरत मोहम्मद एक रिवायत में बताया गया है कि एक खुत्वे के दौरान हज़रत अली ने फ़रमाया था कि इन 3 घरों में अल्लाह का क,हर कभी भी नाज़िल हो सकता है.
ऐसे घरों से पहला घर वह है जिस घर में औरत की आवाज पुरुष की आवाज से ऊपर (तेज) हो जाए उस घर को 70000 फरिश्ते सारा दिन कोसते रहते हैं. दुसरे नंबर परे ऐसे घर आते हैं जिस घर में किसी के हक का छीना हुआ माल आया हो. नंबर तीन है कि जिस घर के लोगों को मेहमानों का आना पसंद नहीं.