हुआ यूं कि मि’स्र का ख’ली’फा नील नदी में हर साल आने वाले बा’ढ़ से बड़ा हैरान था. उसने एक सा’इं’स’दा’न को कहा कि वह नील नदी की बा’ढ़ से निबटने का कोई हल निकाले. वह वैज्ञानिक उन दिनों बसरा में था और उसने दावा किया कि नील नदी के बा’ढ वाले पानी को पो’खरों और नहरों के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है और उस पानी को गर्मी के सूखे दिनों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

Biography of Abu Ali Hasan Ibn Al-Haitham | Islam and science, History pictures, Islamic art

अपना यह सुझाव लेकर, वह वैज्ञानिक काहिरा आया, और तब जाकर उसे यह इ’ल्म हुआ कि इंजीनियरिंग के लि’हा’ज से उसका सि’द्धां’त अ’व्या’व’हा’रि’क है. लेकिन मिस्र के क्रू’र और ह’त्या’रे ख’ली’फा के सामने अपनी गलती मान लेना, अपने गले में फां’सी का फं’दा खुद डालने जैसा ही था, ऐसे में उस वैज्ञानिक ने तय किया कि स’जा से बचने के लिए वह खुद को पा’ग’ल की तरह पेश करे.

नतीजतन, ख’ली’फा ने उसे मौ’त की सजा तो नहीं दी, लेकिन उसको उसी के घर में न’ज’र’बं’द कर दिया. उस वैज्ञानिक को म’न’मांगी मु’रा’द मिल गई. अकेलापन और पढ़ने के लिए बहुत कुछ.

Profile: Ibn Al Haytham | Gulfnews – Gulf News

दस साल बाद जब उस ख’ली’फा की मौ’त हुई तब जाकर वैज्ञानिक छूटा. यह वापस बगदाद लौट गया और तब तक उसके पास बहुत सारे ऐसे सिद्धांत थे, जिसने उसे दुनिया का पहला सच्चा वैज्ञानिक बना दिया.

उस वैज्ञानिक का नाम था इब्न अल-हैतम जिसने दस साल की नजर बं’दी के दौरान भौतिकी और गणित के सौ से अधिक काम पूरे कर लिए थे.
हम सब जानते हैं और पढ़ते आ रहे हैं कि सर आ’इ’ज’क न्यूटन ही दुनिया के अब तक के सबसे महान वै’ज्ञा’नि’क हुए हैं खासकर भौ’ति’की (फिजिक्स) की दुनिया में उनका योगदान अप्रतिम है.

Ibn al-Haytham Founds Experimental Physics, Optics, and the Science of Vision : History of Information

सर आइजक न्यूटन को आधुनिक प्रकाशिकी (ऑप्टिक्स) का जनक भी कहा जाता है. न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण और गतिकी के अपने नियमों के अलावा लेंसों और प्रिज्म के अपने कमाल के प्रयोग किए थे. हम सबने ने अपने स्कूली दिनों में, प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन के उनके अध्ययन के बारे में जाना है और यह भी कि प्रिज्म से होकर गुजरने पर प्रकाश सात रंगों वाले इंद्रधनुष में बंटकर दिखता है.

ibn haitam

लेकिन, न्यूटन ने भी प्रकाशिकी के अपने अध्ययन के लिए एक मु’स्लि’म वैज्ञानिक की खोजों का सहारा लिया है जो न्यूटन से भी सात सौ साल पहले हुए थे.

वैसे, आमतौर पर यही माना जाता है और खासतौर पर विज्ञान के इतिहास की चर्चा करते समय यही कहा जाता है कि रो’म’न सा’म्रा’ज्य के उ’त्क’र्ष के दिनों के बाद और आधुनिक यूरोप के रेनेसां (नवजागरण) की बीच की अवधि में कोई खास वैज्ञानिक खोजें नहीं हुईं. पर यह एकतरफा बात है और जाहिर है, भले ही यूरोप अं’ध’कार युग में रहा हो, पर यह जरूरी नहीं है कि बाकी दुनिया में भी ज्ञान के मामलें में अंधेरा छाया था. असल में, यूरोप के अलावा बाकी जगहों पर बदस्तूर वैज्ञानिक खोजें चल रही थीं.

अरब प्रायद्वीप के इलाके की बात करें तो नवीं से तेरहवीं सदी के बीच का दौर वैज्ञानिक खोजों के लिहाज से सुनहरा दौर माना जा सकता है.
इस दौर में गणित, खगोल विज्ञान, औषधि, भौतिकी, रसायन और दर्शन के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई. इस अवधि के बहुत सारे विद्वानों और वैज्ञानिकों में एक नाम था इब्न अल-हैतम का, जिनका योगदान सबसे बड़ा माना जा सकता है.

अल-हसन इब्न अल-हैदम का जन्म 965 ईस्वी में इराक में हुआ था और उन्हें आधुनिक वैज्ञानिक तौर-तरीकों का जनक माना जाता है.

आमतौर पर माना जाता है कि वैज्ञानिक तौर-तरीकों से खोज करने में घ’ट’ना’ओं की परख, नई जानकारी हासिल करना या पहले से मौजूद जानकारी को ठीक करना या उसे प्रे’क्ष’णों तथा मापों के आंकड़ों के आधार पर फिर से साबित करना, सं’क’ल्प’ना’एं ना कर उनके आंकड़े जुटाना है और इस तरीके की स्थापना का श्रेय 17वीं सदी में फ्रां’सि’स बेकन और रेने डिस्कार्तिया ने की थी, पर इब्न अल-हैतम यहां भी इनसे आगे हैं.
प्रायोगिक आंकड़ों पर उनके जोर और एक के आधार पर कहा जा सकता है कि इब्न अल-हैदम ही इस ‘दुनिया के पहले सच्चे वैज्ञानिक’थे.

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इब्न अल-हैदम ही पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने यह बताया कि हम किसी चीज को कैसे देख पाते हैं.
उन्होंने अपने प्रयोगों के जरिए यह साबित किया कि कथित एमिशन थ्योरी (जिसमें बताया गया था कि हमारी आंखों से चमक निकलकर उन चीजों पर पड़ती है जिन्हें हम देखते हैं) जिसे प्ले’टो, यू’क्लिड और टॉ’ल’मी ने प्रतिपादित किया था, गलत है. इब्न अल-हैदम ने स्थापित किया कि हम इसलिए देख पाते हैं क्योंकि रोशनी हमारे आंखों के अंदर जाती है. उन्होंने अपनी इस बात को साबित करने के लिए गणितीय सूत्रों का सहारा लिया था इसलिए उन्हें पहला सै’द्धां’तिक भौ’ति’की’वि’द भी कहा जाता है.

लेकिन इब्न अल-हैदम की प्र’सि’द्धि पि’न हो’ल कैमरे की खोज के लिए अधिक है और इसतरह उनके हिस्से में प्रकाश के अपवर्तन (रिफ्रैक्शन) के नियम की खोज का श्रेय भी आना चाहिए. इब्न अल-हैदम ने प्रकाश के प्र’की’र्णन (डि’स्प’र्श’न) की खोज भी की कि किस तरह प्रकाश विभिन्न रं’गों में बंट जाता है. इब्न अल-हैदम ने छाया इंद्रधनुष और ग्रहणों का अध्ययन भी किया और उन्होंने यह भी बताया कि पृथ्वी के वायुमंडल से किस तरह प्रकाश का विचलन होता है. इब्न अल-हैदम ने वा’युमं’ड’ल की ऊंचाई भी तकरीबन सही मापी और उनके मुताबिक पृथ्वी के वायुमंडल की ऊंचाई करीबन 100 किमी है.

कुछ जानकारों का कहना है कि इब्न अल-हैतम ने ही ग्रहों की कक्षाओं की व्याख्या की थी, और उनकी इसी बात के आधार पर बाद में कॉ’प’र’नि’क’स, गै’ली’लि’यो, के’प’ल’र और न्यूटन ने ग्रहों की ग’ति’की का सि’द्धां’त दिया.

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