प्र’सि’द्ध इ’स्ला’म’मि’क स्कॉ’लर मौ’ला’ना वहीदुद्दीन का इं’त’का’ल हो गया है. वे कोरोना सं’क्र’म’ण से जूझ रहे थे. उन्हें हाल ही में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत बिगड़ने के कारण बुधवार रात उन्होंने 96 साल की उम्र में अपनी अंतिम सां’स ले ली है. मौ’ला’ना वहीदुद्दीन को इसी साल राष्ट्रपति द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी पद्म विभूषण से नवाजा गया था.
मौ’ला’ना वहीदुद्दीन को हि’न्दू-मु’स्लि’म सा’मं’ज’स्य के लिए जाना जाता है. गां’धी’वा’दी विचारों के मु’स्लि’म वि’द्वा’न मौ’ला’ना वहीदुद्दीन देश के पूर्व प्र’धा’न’मं’त्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के भी करीबी माने जाते हैं. पीएम मोदी ने उनके नि’ध’न पर शोक जताया है.
मौ’ला’ना वहीदुद्दीन इ’स्ला’म में सुधार के प’क्ष’ध’र थे. वे उन लोगों में गिने जाते हैं जिन्होंने ट्रि’प’ल त’ला’क के वि’रु’द्ध में स्वर दिया. वे ट्रि’प’ल त’ला’क की प’रं’प’रा के खि’ला’फ थे. आपको बता दें कि उन्होंने साल 2004 के लोकसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के लिए स’म’र्थ’न जुटाने हेतु ‘वाजपेयी हि’मा’य’त क’मे’टी’ के ग’ठ’न में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मौ’ला’ना वहीदुद्दीन ऐसे शख्स रहे हैं जिन्होंने बा’ब’री म’स्जि’द पर मु’स्लि’म स’मा’ज से अपील की थी कि उन्हें अपना दा’वा छोड़ देना चाहिए. इस बात के लिए मु’स्लि’म स’मा’ज में उनकी भारी आ’लो’च’ना भी हुई थी.