मैसूर निवासी सैयद इसाक़ बीते कई सालों से एक लाइब्रेरी चला रहे हैं. कुछ दिन पहले अ’ज्ञा’त लोगों ने उनकी लाइब्रेरी में आ’ग लगा दी. आ’ग लगाने वाले लोगों का अभी तक पता नहीं चल सका है. मैसूर पु’लि’स ने अ’ज्ञा’त लोगों के ख़ि’ला’फ़ मु’क़’द’मा द’र्ज किया है. सोशल मीडिया में ख़बर आने के बाद इसाक़ को मदद मिल रही है और 20 लाख रुपये जमा हो चुके हैं.
सोशल मीडिया (Social Media) पर लोग अब पहले से अधिक सक्रिय हो गए हैं. किसी को मदद पहुंचानी हो या किसी को फेमस करना हो, सोशल मीडिया सारे काम चंद सेकंड में कर देता है. अब ऐसा ही एक मामला मैसुरु (Mysuru) में देखने को मिला है. वहां 62 साल के बुजुर्ग सैयद इस्हाक (Syed Issaq) की लाइब्रेरी थी. वह दि’हा’ड़ी मजदूरी करते हैं, लेकिन हाल ही में उनकी लाइब्रेरी आ’ग में ज’ल’क’र खा’क हो गई. इसके बाद जब लोगों को उनके नु’क’सा’न के बारे में पता चला तो सोशल मीडिया के जरिये उन तक मदद पहुंच गई.
इस्हाक ने जानकारी दी कि उनकी लाइब्रेरी में भ’ग’व’द् गी’ता, कु’रा’न और बा’इ’बि’ल के अलावा 11 हजार किताबें थीं. उनमें से अधिकांश क’न्’नड़ भाषा में थीं. उनके अनुसार वह इस लाइब्रेरी को 2011 से चला रहे थे. इस लाइब्रेरी में हर ध’र्म से जुड़ी किताबें रहती थीं. अब सब ज’ल’कर खा’क हो गया है. इ’सा’क का कहना है कि चाहे मुझे ज’ला देते लेकिन भ’ग’व’द गी’ता, कु’रा’न और बा’इ’बि’ल जैसे धा’र्मि’क किताबें न जलाते.
(न्यूज़ 18 से साभार)